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Yashwant Vyas

जाओ तो इस तरह कि जीवनी में न जाओ!

नरेंद्र मोदी ने एक और गलत काम किया है। उन्होंने अपने जिम्मेदार प्रेमियों को कहा है कि उनकी जीवनियां कोर्स में पढ़वाने का इरादा छोड़ दें।जिन लोगों को लालू-चालीसा का पाठ अत्यंत हृदयग्राही लगता था या जो जीते जी इतिहास की छाती पर सवार होने के लिए बेताब रहते हैं, उन्हें इस वक्तव्य पर ठेस लगेगी। वे निश्चित ही इसे भक्ति आंदोलन की परंपरा का अपमान मानेंगे।

भक्ति रस का अपना आनंद है, किंतु भक्ति से प्राप्त अलंकरण के लिए बाकायदा चेलों को आंदोलन के लिए उत्साहित करने का अपना परमानंद है। परमानंद के इस उद्योग को पद्मश्री, राज्यसभा की सदस्यता से शुरू करके किसी भी शिखर तक ले जाया जा सकता है। मीडिया से लेकर मूंगफली के तेल के धंधे तक यह इच्छा संपूर्ण समर्पण के साथ लहलहाती मिल जाएगी। आदमी चिता पर लेटते वक्त भी जीवनी में ‘करेक्शन’ करवाना चाहेगा, यदि मामला अमरता का ठहरे।

कुछ लोग इस तरह प्रकट करते हैं, जैसे उन्हें इतिहास में अमर होने का कोई शौक नहीं है, लेकिन ये जालिम जमाना देखिए कि उन्हें अमर बनाने पर तुला हुआ है।

हमारे एक साथी थे, जो हर बात में कहते थे कि मैं एक मामूली आदमी हूं। लेकिन, उनका कहना था कि वे पैदा ही नेतृत्व करने के लिए हुए हैं।वे जबरन इतिहास में अमर बनाए जाएंगे। जब यह होना ही है, तो थोड़ी सावधानी सही। वे दुनियाभर के लीडरों की जीवनियां खोज कर पढ़ने में इसलिए लगे रहते थे कि उन्हें अपनी जीवनी का फॉर्मेट भक्ति से ऊपर ले जाना था। उन्होंने अध्ययन के आधार पर कुछ सिद्धांत बनाए। जैसे –

1. घर में एक बड़ा बाथ टब होना चाहिए। उसमें खूब लंबे समय तक नहाना चाहिए। आर्कमिडीज ने बाथ टब से ही अमर होने वाला क्षण प्राप्त किया था और वे दौड़कर ‘यूरेका-यूरेका’ चिल्लाते हुए नंगे ही गलियों में उतर आए थे। (उन्होंने प्रेरणा ली कि, नंगई अमरता के लिए एक शर्त है।)

2. पैरों में स्पोर्ट्स शूज होने चाहिए। उसके तलुए दमदार होते हैं। पहाड़ की चढ़ाई और सुबह की सैर दोनों में समान रूप से उपयोगी होते हैं। उनसे पैरों में ऐसा जोश आता है कि पटक-पटक कर बात करने से दुनिया को रौंदने जैसा अनुभव कर सकते हैं। (उन्होंने प्रेरणा ली कि नंगे पैर, पैर पटकने की प्रक्रिया मुश्किल है। जीवनी को सुरक्षित बनाने के लिए अदृश्य स्पोर्ट्स शूज होने चाहिए, जिससे खिलाड़ी भावना का प्रमाण इतिहास में साथ जाता है।)

3. सेवफल के पेड़ की तलाश में लगे रहना चाहिए। न हो तो सेवफल पर शोध आदि करवाना चाहिए। इससे माहौल बना रहता है कि आप न्यूटन की तरह गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का तोड़ जानने में दिन-रात जुटे रहते हैं। (प्रेरणा यह है कि सेव के बगीचे की तरफ कभी न जाओ लेकिन सेव के नीचे आने से जमीन से जुड़ने की कथा का महात्म्य दुनिया भर में फैलाओ।)

4. नारियल उत्तम है लेकिन अमरता सर्वोत्तम है। भावुकता के अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हुए जीवनी में भक्ति का उत्कर्ष तब आता है, जब लोग आपके बारे में कहने लगे कि आप नारियल की तरह हैं। बाहर से सख्त लेकिन भीतर से अत्यंत कोमल। (प्रेरणा यह है कि अपने से ऊपर वालों की पूजा-अर्चना के मौसम में सावधान रहना चाहिए अन्यथा आप भी ऊंचे देवताओं के चरणों में फोड़े और खाए जा सकते हैं।)

5. अपनी जंजीर का माप मालूम होना चाहिए। कुत्तों के गले में हाईकमान एक जंजीर बांधकर रखता है। उसे किस पर, कितनी दूर तक भौंकने के लिए जाना है या आक्रमण ही कर देना है, यह छोड़ी गई जंजीर की लंबाई पर ही निर्भर करता है। यदि जंजीर की अधिकतम लंबाई का पता हो तो सीमा में उछाल या गुर्राहट से स्वतंत्र होने का प्रभाव पैदा करने की क्षमता विकसित की जा सकती है। (प्रेरणा यह है कि कभी-कभी हाईकमान द्वारा जंजीर खुली भी छोड़ दी जाती है, इसका अर्थ भूलकर भी स्वच्छंदता नहीं लेना चाहिए, क्योंकि हाईकमान अपने पास कुत्तों के साथ-साथ रिवॉल्वर भी रखता है। और, रिवॉल्वर में जंजीर नहीं होती।)

ये पांच सिद्धांत वे हर क्षेत्र में अपनाते हैं। वे अफसरों से मिलते हैं और कवि बन जाते हैं। वे सेठों से मिलते हैं और चित्रकार हो जाते हैं। वे स्त्रियों से मिलते हैं और आलोचक-समीक्षक-संत की त्रयी में तब्दील हो जाते हैं।

कहते हैं, वे चोरी-छुपे अपनी जीवनी भी लिख रहे हैं। वे उसे योजनापूर्वक दबा देंगे। एक दिन किसी नाले की खुदाई में मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय महत्व का दस्तावेज बन जाएगी। नाला उन्होंने तय किया हुआ है और वे उस फोटो में किस जगह होंगे, जो इस दस्तावेज को जारी करते हुए लिया जाएगा, इसके बारे में भी बाकायदा तय कर दिया गया है।

मुझे विश्वास है कि उनकी जीवनी कोर्स में लगेगी, इतिहास में दर्ज होगी और वे नरेन्द्र मोदी जैसों को गलत साबित कर सकेंगे।

अमरता के लिए, जीवनी जरूरी है। जीवनी के लिए जीवन जरूरी है। जो आत्मतर्पण और आत्मकथा के रहस्यखोलू धंधों को अपनी प्रतिमा बनाने तथा दूसरों के जीवन को नष्ट करने वाले किस्से गढ़ने की कला में माहिर हैं, उन्हें हर नाजुक मौके पर ऐसी जीवनी में जाने की इच्छा होती है।

जनता चाहती है कि वे शांति से चले जाएं। वे जिद में रहते हैं कि जीवनी में जाएंगे। जीवन में जाएं तो जनता की सांस में सांस आए।

*और अंत में ……………

सर्वाधिक बुद्धिमान होने में मजा ही क्या है, जब रहना आपको मूर्खों के बीच ही है। -आइसी लोके की लाइन

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